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पुस्तक के मूल में विचार तत्व है जो व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और मानवता के परिपूर्ण और समग्र चिंतन की आधारशिला बनकर नवनिर्माण की प्रेरणा प्रदान करते हैं। इसमें भारत की एक आत्मचिंतन धारा के सूत्र संग्रहित हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचार, व्यक्तित्व और उनकी महानता जो उनके शब्दों में नजर आती है, वह पुस्तक में प्रत्येक बिंदु पर परिलक्षित होती है। जीवन के गूढ़ विषयों पर बेहद सरल स्पष्टीकरण और उदाहरण के साथ इसके विषय का संकलन किया गया है। राष्ट्र और राज्य की परिभाषा, राष्ट्र का स्वरूप कैसा हो या फिर सेक्यूलर शब्द का कैसे अर्थ से अनर्थ किया जाता है यह भी स्पष्टीकरण इस पुस्तक में मिलता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन का आधार राष्ट्रवाद है, इस पर भी चर्चा की गई है और पुस्तक के अंत के चार बिंदु हमारा राष्ट्रध्वज, विजय आकांक्षा ,जीवन दर्शन और जीवन झांकी सरलता से कही गई महत्वपूर्ण बातें हैं। यह पुस्तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के प्रेरणादायी शब्दों का संकलन है।
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